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महान व्यक्तित्व >> सम्राट अशोक

सम्राट अशोक

प्राणनाथ वानप्रस्थी

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1492
आईएसबीएन :81-7483-033-2

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प्रस्तुत है सम्राट अशोक का जीवन परिचय...

इस बीच भारतवर्ष में वीर चन्द्रगुप्त हुआ। सिकन्दर के भारत से कूच करते ही उत्तर भारत में विद्रोह भड़क उठा। स्थान-स्थान पर यूनानियों को काट डाला गया और देश स्वतन्त्र हो गया। चाणक्य सरीखे देशभक्त, त्यागी और नीतिकुशल की छत्रछाया में चन्द्रगुप्त ने बहुत बड़ी सेना भी तैयार कर ली, जो मातृभूमि की  रक्षा के लिए मर-मिटने को तैयार थी। इस सेना की संख्या छः लाख से ऊपर थी।

उधर सिकन्दर की मृत्यु के बाद उसका सेनापति सेल्यूकस बहुत बड़ी सेना इकट्ठी कर भारत को लूटने के लिए चढ़ दौड़ा। चन्द्रगुप्त ने अपनी सेना को साथ ले उसका सामना किया। बड़ा भयंकर युद्ध हुआ। चन्द्रगुप्त की कमान में भारतीय वीरों ने ऐसा जमकर युद्ध किया कि शत्रु को लेने के देने पड़ गए। सारे एशिया को पांव तले रौंदनेवाले यूनानियों को मुंह की खानी पड़ी।  यूनानी सेना के पांव उखड़ गए। भारतीय वीरों ने उसका पीछा किया और उन्हें कश्मीर की  घाटी के बाहर खदेड़ दिया। यह युद्ध डेढ़ वर्ष तक चला।

तत्पश्चात् सन्धि हुई। बहुत भारी संख्या में घोड़े, रत्न और अनेक बहुमूल्य वस्तुएं भारत को भेंट की गईं। इतने पर भी सेल्यूकस का छुटकारा न हुआ। अन्त में उसे अपनी पुत्री हेलीना का विवाह भी चन्द्रगुप्त से करना पड़ा। यह घटना सिकन्दर की मृत्यु के 18 वर्ष बाद की है। अब सारे संसार में भारतवर्ष का यश फैल गया। दूर-दूर से यात्री हमारे देश को देखने आते।

एक बार एक यात्री राजधानी पाटलिपुत्र में घूम रहा था। बड़े-बड़े भवनों को देख वह चकित हो रहा था। वह महामंत्री चाणक्य का महल खोज रहा था। वह खोजते-खोजते थक गया, पर चाणक्य का घर न मिला। अन्त में उसे किसी ने बताया, 'भाई! उन्हें यहां कहां खोजते हो! वह महान् पुरुष तो नगर के बाहर किसी झोंपड़ी में मिलेगा।''

यह सुन उस यात्री की हैरानी का अन्त न रहा। दिन-भर का भूखा-प्यासा और थका हुआ वह  यात्री उसी समय उस महान् पुरुष के दर्शनों के लिए नगर के बाहर चल पड़ा। उसकी आंखें  खुली की खुली रह गईं जब उसने देखा कि एकान्त स्थान में, पवित्र गंगा के तट पर, शरीर  पर एक वस्त्र लपेटे वह भारत का महामंत्री भगवान् के भजन में ऐसा मस्त हो रहा था कि उसे अपनी सुध-बुध ही न थी। यात्री का मस्तक श्रद्धा से झुक गया। वह सोचने लगा, 'अहा! जिस देश की बागडोर ऐसे-ऐसे त्यागी पुरुषों के हाथ में हो, वह देश संसार में उन्नति के शिखर पर क्यों न पहुंचेगा।

प्राचीन काल में कश्मीर और तक्षशिला भारत के शिक्षा केन्द्र थे। बाद में इसी महान् चाणक्य  की देख-रेख में तक्षशिला में एक विश्वविद्यालय खोला गया, जहां देश-विदेश के राजकुमार और सहस्रों अन्य विद्यार्थी शिक्षा पाते थे। इन दिनों यहां पर राजनीति, प्राचीन शास्त्रों की पढ़ाई,  और शस्त्र-विद्या आदि सभी विषयों की पढ़ाई होती थी। विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय में शिक्षा  पाना अपना सौभाग्य समझते थे; जैसे आज के विद्यार्थी अमेरिका और इंग्लैंड में शिक्षा पाने  जाते हैं।

चन्द्रगुप्त की माता का नाम मुरा था, इसलिए यह वीर इतिहास में चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से  प्रसिद्ध हुआ। इसने 24 वर्ष तक राज्य किया। इसके बाद इसका पुत्र बिन्दुसार सम्राट् बना।  इसने अपने पिता के राज्य को बढ़ाया और 25 वर्ष तक राज्य किया। इसके बाद इसका पुत्र  अशोक राजगद्दी पर बैठा।

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    अनुक्रम

  1. जन्म और बचपन
  2. तक्षशिला का विद्रोह
  3. अशोक सम्राट् बने
  4. कलिंग विजय
  5. धर्म प्रचार
  6. सेवा और परोपकार
  7. अशोक चक्र

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